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भारत बनाम इंडिया
मोहन भागवत का यह कहना कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में बलात्कार की घटनाएं ज्यादा होती हैं, इसको नकारात्मक भाव से नहीं लेना चाहिए . तत्य्पर्य यह है की लोगो में संवेदनाये समाप्त हो चुकी है, पैसे की भूख ने न केवल लोगो में शारीरिक बलात्कार बल्कि मानसिक बल्त्कारी बना दिया है. शहरी क्षेत्रों में संस्कार और परंपरा तथा उनका मूल्य समाप्ति की ओर अग्रसर है. कोई २०-३० साल पहले तक पास पड़ोस के लोग यदि बच्चो को कोई गलत कम करते देख लेते तो दोबारा वे गलती दुहराते नहीं थे, आज इस्थिति बिलकुल विपरीत है. आज मीडिया बहुत ही ख़राब रोल अदा कर रहा है, इसे अप्रिपक्व्या कह सकते है. अमिताभ बच्चन की फिल्म दोस्ताना में जब जीनत अमां से कहा जाता हा की जब आपना घर खुला रखोगी तो चोर उच्चके नज़र गडाए रखेगे ही परन्तु उस समय इस बात को एक नसीहत के रूप में लिया गया परन्तु आज बिकनी-व २- पीसेस में जबतक लडकिय दिखाई न जय तब तक फिल्म ही नहीं, जो दिखाया जायगा वही बच्चे-बड़े सब सीखेगे ही.. भारत और इंडिया को दो भागों में कहने का तत्य्पर्य शहरी भारत -इंडिया ग्रामीण भारत-भारत मोहन भागवत कहना चाहते हैं, महिलाओं के पहनावे और पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण ही बलात्कार और गैंग रेप जैसी घटनाओं में वृद्धि हो रही है, यह बात १००% सत्य है.
जनता सब जानती है, मीडिया बहुत बदमाश है, अख़बार में कोई भी खबर छपने के पूर्व प्रोफ रीडर आदि चेक करते है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में यह बात नहीं है, इसीलिए बात का बतंगड़ बन जाता है.
अजीत सक्सेना
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